आदिम गूंज ९

समय जब करेगा सवाल

समय जब करेगा सवाल
तो जवाब भी देना ही पड़ेगा
इतिहास को भी
कि/ किन अंधकूपों में
फ़ैंक दी थी कभी कुंजियां
उन बंद अंधेरे कमरों की
जहां तक पहुंचने का
रास्ता तक भी
गायब हो चुका है
लोक मानस के भंडार तक से
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-उज्जवला ज्योति तिग्गा-

आदिम गूंज ८

१.

कब तक गाऊंगी
मैं तुम्हारे गीत
या किसी दूसरे के गीत
क्यों न तलाशूं मैं अपने सुर ताल
और रचूं अपना संगीत
भले हों वे बेसुरे
ताल लय ज्ञान विहीन
और शब्द भी हों टूटे फ़ूटे
अनगढ़ और दरिद्र
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२.

जान चुकी हूं
अब तो मैं भी
कि हर नए शिकार के लिए
मौजूद हैं
तुम्हारे पास
एक से एक नए
मुखौटों के भंडार और
अनगिन चालों का अंबार
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-उज्जवला ज्योति तिग्गा-