आदिम गूंज २५



धरती के अनाम योद्धा

इतना तो तय है/कि
सब कुछ के बावजूद
हम जियेंगे जगली घास बनकर
पनपेंगे/खिलेंगे जंगली फ़ूलों सा
हर कहीं/सब ओर
मुर्झाने/सूख जाने/रौंदे जाने
कुचले जाने/मसले जाने पर भी
बार-बार,मचलती है कहीं
खिलते रहने और पनपने की
कोई जिद्दी सी धुन
मन की अंधेरी गहरी
गुफ़ाओं/कन्दराओं मे
बिछे रहेंगे/डटे रहेंगे
धरती के सीने पर
हरियाली की चादर बन
डटे रहेंगे सीमान्तों पर/युद्धभूमि पर
धरती के अनाम योद्धा बन
हम सभी समय के अंतिम छोर तक...

-उज्जवला ज्योति तिग्गा-

धरती के सभी अनाम योद्धाओं के नाम
विश्व आदिवासी दिवस की आप सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं!!!...

4 टिप्पणियाँ:

दीपिका रानी ने कहा…

जानकीपुल की बदौलत यहां तक पहुंचे.. अन्यथा एक बेहतरीन लेखनी से परिचय पाने से वंचित रह जाते।

धीरेन्द्र अस्थाना ने कहा…

vastv men srijn ka jo uttrdayittv liye ye anaam yddha vndneey hain.

rchna hetu bdgayee.

Bharat Bhushan ने कहा…

ऐसे अनाम योद्धा को नमन.
विश्व आदिवासी दिवस की आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.

Bharat Bhushan ने कहा…

रांची में हुए झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा महासम्मेलन 2013 में सम्मान मिलने के उपलक्ष्य में बहुत बधाई और शुभकानाएँ.

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