आदिम गूंज २४




शायद बेहद खतरनाक जुर्म है...

शायद बेहद खतरनाक जुर्म है
यहां पर सांस लेना
सांस लेने की हिमाकत करना
और एक-एक सांस के लिए
करना जद्दोजहद
...

जब उस रूंधी और घुटी हुई सांस की ध्वनि
भी न जाने क्यों सुनाई देती है
किसी विस्फ़ोट की तरह
शायद इसीलिए उसे दबाने की हरचंद कोशिश में
जूझते हैं लोग
तरह तरह की साजिश/षडयंत्र रच
...

बिना सोचे/समझे कि
अवरूध सांसो की तेज रफ़्तार
अक्सर किसी तूफ़ान की पूर्वसूचना होती है
...
...

-उज्जवला ज्योति तिग्गा-

1 टिप्पणियाँ:

Bharat Bhushan ने कहा…

स्वाभाविक रूप से स्वच्छंद भावनाओं का अस्वाभाविक दमन तूफान लाता है. सुंदर कविता.

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