आदिम गूंज २९

 

काला इंद्रधनुष
 
अभी/ आपके लिए/ वे
महज
साधन हैं/ पुर्जे हैं
टट्टू हैं/ पिठ्ठू हैं
उन्हें सिखाकर/ पटाकार/
बहलाकर/ फ़ुसलाकर
कुछ भी करते रहिए
कुछ भी करवाते रहिए
........
 
वे महज भेड़ें हैं
जिधर चाहे हांक लीजिए
महज गऊएं हैं वे अभी
चाहे जहां चरा आइए
पर/ जब वे आंख खोलेंगे
जबान खोलेंगे/ हाथों से तौलेंगे
आपकी हर बात ....
आपकी हर घात ....
आपकी हर चाल ....
तब ........
तब क्या करेंगे आप !?
...
...

-उज्जवला ज्योति तिग्गा-


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